राहु किस देवता से डरता है?आइए जानें वह रहस्य, जो राहु के अशुभ प्रभाव को भी शांत कर सकता है।
राहु किस देवता से डरता है?
आइए जानें वह रहस्य, जो राहु के अशुभ प्रभाव को भी शांत कर सकता है।
वैदिक ज्योतिष में राहु को छाया ग्रह कहा गया है। यह ग्रह किसी भी व्यक्ति की कुंडली में भाग्य, भ्रम, सफलता, लोभ, छल, अचानक लाभ या हानि से जुड़ा होता है। राहु की स्थिति यदि अनुकूल हो तो व्यक्ति को राजसी पद, प्रसिद्धि, विलासिता, और विदेश से लाभ तक देता है। राहु कुंडली में उच्च स्थिति में हो तो व्यक्ति को अपार धन वृद्धि कराता है, लेकिन जब यह ग्रह अशुभ या पीड़ित होता है, तब जीवन में भ्रम, मानसिक तनाव, असफलता, भय, नशा, और अचानक नुकसान जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न होती हैं।
इसीलिए कहा जाता है —
“राहु जब प्रसन्न हो, तो रंक को राजा बना दे,
पर जब क्रोधित हो जाए, तो राजा को रंक बना दे।”
अब प्रश्न उठता है कि राहु किस देवता से डरता है?
आइए जानें वह रहस्य, जो राहु के प्रभाव को भी शांत कर सकता है। आज ओमांश एस्ट्रोलॉजी राहु से संबंधित बेहद अहम जानकारी लेकर प्रस्तुत है!

राहु का जन्म और उसका स्वभाव;
पुराणों के अनुसार, राहु का जन्म समुद्र मंथन के समय हुआ। जब देवता और दानव अमृत प्राप्त करने के लिए मंथन कर रहे थे, तब दानव स्वर्भानु ने धोखे से देवताओं की पंक्ति में बैठकर अमृत पी लिया।
भगवान विष्णु ने यह देखकर सुदर्शन चक्र से उसका सिर काट दिया।
सिर वाला भाग “राहु” कहलाया।
शरीर वाला भाग “केतु” कहलाया।
अमृत का प्रभाव होने के कारण, दोनों अमर हो गए। तभी से राहु और केतु सूर्य और चंद्र से शत्रु बन गए क्योंकि उन्हीं ने उसका छल उजागर किया था।
#राहु किस देवता से डरता है?
राहु किसी भी सामान्य देवता से नहीं डरता, क्योंकि वह एक असुर (दानव) से देवता बना। परंतु तीन देवताएं ऐसी हैं जिनके प्रति राहु असहाय और भयभीत रहता है।
1. भगवान विष्णु (श्री हरि नारायण)
राहु का सिर भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से अलग हुआ था, इसलिए वह उनसे सदैव भयभीत रहता है।
विष्णु जी का नाम या मंत्र सुनते ही राहु की दुष्ट प्रवृत्तियाँ कमजोर पड़ जाती हैं।
इसलिए राहु के प्रभाव को शांत करने के लिए “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप अत्यंत प्रभावी माना गया है।
कारण:
भगवान विष्णु धर्म, नीति और सत्य के प्रतीक हैं, जबकि राहु छल, मायाजाल और अधर्म का प्रतीक। विष्णु की उपस्थिति में राहु की शक्ति क्षीण हो जाती है।
2. भगवान भैरव (शिव का उग्र रूप)
राहु को नियंत्रित करने वाले ग्रह-देवता भगवान काल भैरव हैं।
भैरव, समय के स्वामी हैं और राहु समय और कर्म के फेर में फँसा हुआ ग्रह।
जब कोई व्यक्ति राहु से पीड़ित होता है (जैसे भ्रम, मानसिक विकार, कोर्ट केस, नशा, धोखा आदि), तो भैरव उपासना से तुरंत राहत मिलती है।
कारण:
भैरव देव अधर्म को दंड देते हैं और राहु की अधार्मिक प्रवृत्तियों को दबा देते हैं।
“ॐ कालभैरवाय नमः” का जाप राहु के प्रभाव को कमजोर करता है।
3. मां दुर्गा (चंडिका या भद्रकाली रूप में)
राहु स्त्री शक्ति से भी भयभीत रहता है, विशेषकर मां दुर्गा के उग्र रूप भद्रकाली से।
राहु भ्रम और अंधकार का कारक है, जबकि दुर्गा मां प्रकाश और शक्ति का स्रोत हैं।
जब कोई राहु पीड़ित व्यक्ति दुर्गा सप्तशती, देवी कवच या दुर्गा आरती करता है, तो राहु की नकारात्मक ऊर्जा स्वतः कम होती है।
कारण:
मां दुर्गा की दिव्य शक्ति राहु के मायाजाल को काट देती है।
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे” यह बीज मंत्र राहु के भय को नष्ट करता है।
** राहु के प्रभाव के लक्षण;
जब किसी की कुंडली में राहु पीड़ित होता है, तो कुछ खास संकेत दिखाई देते हैं:
1. अचानक निर्णय और पछतावा — बिना सोचे कदम उठाना और बाद में नुकसान होना।
2. नशे या भ्रम की प्रवृत्ति — व्यक्ति को धुंधली सोच और लत लग सकती है।
3. झूठ या धोखे के आरोप — प्रतिष्ठा को हानि।
4. मानसिक तनाव, नींद की कमी, अजीब भय।
5. विदेश या दूरस्थ स्थानों में परेशानियाँ।
6. रिश्तों में अविश्वास और दूरी।
इन लक्षणों के पीछे कारण होता है , राहु का भ्रमकारी प्रभाव।
**राहु के प्रभाव को कब महसूस किया जाता है?
राहु की दशा या महादशा आने पर इसका प्रभाव प्रबल हो जाता है।
यह दशा 18 वर्ष तक चलती है, और इस अवधि में व्यक्ति के जीवन में अचानक परिवर्तन आते हैं , चाहे वह प्रसिद्धि के रूप में हो या विनाश के रूप में।
कुंडली में राहु की स्थिति अगर —
लग्न में हो तो व्यक्ति अत्यधिक महत्वाकांक्षी होता है,
सप्तम भाव में हो तो वैवाहिक जीवन में भ्रम,
दशम भाव में हो तो करियर में अस्थिरता ला सकता है।
राहु को शांत करने के अचूक उपाय
राहु का प्रभाव भयावह जरूर है, परंतु असहनीय नहीं। यदि सही उपाय किए जाएं, तो यह ग्रह भी शुभ फल देने लगता है।
🕉️ 1. भगवान विष्णु की उपासना;
प्रतिदिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का 108 बार जाप करें।
गुरुवार के दिन पीले वस्त्र पहनें और विष्णु मंदिर में केले या तुलसी अर्पित करें।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी अत्यंत फलदायक होता है।
2. भगवान कालभैरव की पूजा
राहु काल (हर दिन का विशेष समय) में
“ॐ कालभैरवाय नमः” मंत्र का 11 बार जाप करें।
शनिवार या रविवार को काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।
भैरव अष्टमी पर विशेष रूप से सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
3. मां दुर्गा या चामुंडा की साधना
मंगलवार या शुक्रवार को “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे” का 108 बार जाप करें।
दुर्गा सप्तशती या देवी कवच का पाठ करें।
लाल फूल और नारियल अर्पित करें।
4. दान और सेवा
काले तिल, सरसों का तेल, नीले कपड़े, उड़द दाल, या चप्पल दान करें।
गरीबों या श्रमिकों को भोजन कराएं।
किसी जरूरतमंद को छाया (छतरी या कपड़ा) दान करना शुभ है।
5. राहु रत्न उपाय (सावधानीपूर्वक)
यदि राहु अनुकूल है, तो गोमेद (हैसोनाइट) रत्न धारण किया जा सकता है, लेकिन केवल किसी योग्य ज्योतिषी की सलाह से।
गलत स्थिति में गोमेद नुकसान भी दे सकता है।
राहु कोई साधारण ग्रह नहीं है — यह जीवन में भ्रम, माया, लोभ और चमत्कार का संगम है।
यह वही ग्रह है जो व्यक्ति को एक पल में आसमान पर पहुँचा सकता है और अगले ही पल जमीन पर ला सकता है।
लेकिन यदि आप राहु से डरने की बजाय उसकी ऊर्जा को सही दिशा में परिवर्तित कर लें, तो वही राहु आपको गौरव, ज्ञान, और सफलता तक पहुँचा देता है।
राहु को जीतने का एक ही उपाय है — सत्य, भक्ति और संयम।
जो व्यक्ति भगवान विष्णु, कालभैरव और मां दुर्गा की शरण लेता है, उसके जीवन में राहु कभी अशुभ नहीं कर पाता।
🌿 संक्षिप्त उपाय सारांश:
1. “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” — रोज 108 बार।
2. शनिवार को कालभैरव मंदि
र में दीप जलाएं।
3. शुक्रवार को मां दुर्गा को लाल पुष्प अर्पित करें।
4. नीले कपड़े, काले तिल, उड़द का दान करें।
5. जीवन में छल, क्रोध और नशे से दूर रहें यही असली राहु शांति है।














